कंपनियों में अब चेयरमैन और एमडी के पद को अलग करने का नियम 1 अप्रैल, 2022 से लागू होगा.
मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) से कॉरपोरेट इंडिया (Corporate India) के लिए राहत की खबर है. सेबी (SEBI) ने मार्केट कैपिटल के लिहाज़ से टॉप 500 कंपनियों में चेयरमैन और एमडी का पद अलग करने की मियाद 2 साल बढ़ा दी है. कंपनियों में अब चेयरमैन और एमडी के पद को अलग करने का नियम 1 अप्रैल, 2022 से लागू होगा. हालांकि ये साफ करना ज़रूरी है कि नियम को रद्द नहीं किया गया है. बल्कि इसे टाला गया है.
सेबी ने कॉरपोरेट गवर्नेंस पर बनी उदय कोटक समिति की सिफारिशों के आधार पर मई 2018 में निर्देश जारी किया था. बैकों को 31 मार्च, 2020 तक की मोहलत दी गई थी. सेबी का मकसद था कि इससे कंपनियों के कॉरपोरेट गवर्नेंस में सुधार आएगा.
नियम के मुताबिक, कंपनियों में चेयरमैन का पद नॉन एक्ज़ीक्यूटिव रोल का होगा. चेयरमन का फोकस कंपनी के लिए रणनीति बनाने और कामकाज की निगरानी पर होगा. जबकि एमडी की जिम्मेदारी कंपनी के नियमित कामकाज को देखने की होगी.
क्या रही वजह
अमल को टालने के लिए सेबी की ओर से कोई वजह तो नहीं बताई गई है. लेकिन माना जा रहा है कि कॉरपोरेट इंडिया की ओर से इसकी मांग की गई थी. कंपनियों की दलील थी कि इकोनॉमी का माहौल ठीक नहीं है. ऐसे में किसी बड़े बदलाव को लागू करना ठीक नहीं होगा. क्योंकि कंपनियों को कंप्लायंस में कठिनाई होगी. साथ ही कई कंपनियों के मैनेजमेंट में फेरबदल से अस्थिरता भी हो सकती है. रिलायंस इंडस्ट्रीज़, कोल इंडिया, ONGC जैसी कंपनियों में चेयरमैन और एमडी दोनों का बंटवारा नहीं हुआ है.
अंदर की बात
दरअसल, 500 कंपनियों में से आधे से ज्यादा कंपनियों में कंप्लायंस हो चुका है. लेकिन कई बड़ी कंपनियों में इस पर अमल होना बाकी था. कहा जा रहा है कि इसे रोकने के लिए लेकर वित्त मंत्रालय से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक से गुहार की गई थी. हालांकि सेबी अधिकारियों के मुताबिक इस प्रस्ताव पर अमल के लिए कंपनियों को लंबा समय दिया गया था. मई 2018 में प्रस्ताव पर अमल का निर्देश आया था.
एक्सपर्ट नजरिया
पूर्व सेबी अधिकारी और रेगस्ट्रीट लॉ एडवाइज़र्स के फाउंडर सुमित अग्रवाल का मुताबिक ये एक विवादित मुद्दा रहा है. कुछ लोगों ने इस प्रस्ताव की अहमियत पर ही सवाल उठाए हैं. कई कंपनियों के प्रोमोटर नियंत्रण बनाए रखने के लिहाज़ से इस प्रस्ताव को पसंद नहीं करेंगे. इसका असर सरकारी उपक्रमों पर भी होगा. क्योंकि कई कंपनियों को मंत्रालयों से इसकी इजाज़त लेनी होगी. जबकि कई कंपनियों के लिए बाकायदा कानून में बदलाव करना होगा. कंपनियों की भी मांग थी और इकोनॉमी में मंदी की भी बातें हो रही हैं. इस हालात में सेबी ने इसे बढ़ा दिया है. अब कंपनियों को तैयारी के लिए बेहतर मौका मिलेगा.
आगे की राह
नियमों के अमल के मियाद में विस्तार से कंपनियों को चेयरमैन और एमडी पद पर बेहतर प्रत्याशी चुनने के लिए वक्त मिलेगा.